लोमड़ी और बिल्ली की कहानी

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एक बिल्ली और लोमड़ी में अच्छी मित्रता थी. वे अक्सर एक साथ समय बिताया करते थे. साथ खाते, साथ खेलते और ढेर सारी बातें करते उनके दिन बड़े मज़े से गुजर रहे थे.

लोमड़ी ख़ुद को बहुत चतुर समझती थी और जब भी चतुराई की बात चलती, वो बिल्ली को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी. बिल्ली को कभी-कभी ये बात बुरी भी लगती थी. लेकिन मित्रता के कारण वह इन बातों को तूल नहीं दिया करती थी.

एक दिन दोनों दोपहर के खाने के बाद एक पेड़ की छांव में आराम कर रहे थे. दोनों में बात चल पड़ी कि अगर अचानक कोई शिकारी जानवर उन पर हमला कर दे, तो वे अपने बचाव के लिए क्या करेंगे.
बिल्ली बोली, “मुझे तो ऐसी परिस्थिति से बचने का केवल एक ही तरीका आता है. मैं तो वहीं करूंगी.”

यह सुनकर लोमड़ी हँस पड़ी और कहने लगी, “बस एक ही तरीक़ा. अरे बिल्ली रानी, एक तरीके से तुम शिकारी जानवरों से कैसे बचोगी? मुझे देखो, मुझे तो उनसे बचने के हज़ारों तरीके आते हैं. तुम कहो, तो तुम्हें भी एक-दो तरीके बता दूं.”
बिल्ली बोली, “नहीं, ज्यादा तरीके जानकार मैं क्या करूंगी. जो मुझे आता है, वो अब तक कारगर सिद्ध हुआ है. मैं उससे ही अपना बचाव कर लूंगी.”
“हाँ, वैसे भी तुम्हें वे सब तरीके सीखने में कठिनाई होगी. अक्ल जो कम है.” कहकर लोमड़ी हँसने लगी.
बिल्ली को बात बुरी लगी, वह बोली, “जो भी हो, उसी तरीके से मैं अब तक बचते आ रही हूँ. भगवान ने चाहा, तो आगे भी बचूंगी.”
तभी उन्होंने देखा कि एक शिकारी कुत्ता उनकी ओर दौड़ता हुआ आ रहा है. दोनों डर गए और सोचने लगे कि अगर उन्होंने फ़ौरन अपना बचाव नहीं किया, तो शिकारी कुत्ता उन्हें चीर-फाड़ कर रख देगा.

बिल्ली को तो ऐसी परिस्थिति में बचाव का एक ही तरीका आता था और उसने वही तरीका अपनाया. फ़ौरन एक पेड़ पर चढ़ गई. हज़ारों तरीके जानने वाली लोमड़ी सोचती रही कि क्या करूं.

शिकारी कुत्ता निकट पहुँच रहा था और लोमड़ी तय नहीं कर पा रही थी कि कौन सा तरीका अजमाए. इतने में शिकारी कुत्ता लोमड़ी के निकट पहुँच गया और उसकी बोटी-बोटी नोंच दी.

सीख
एक कारगार तरीका उन सारे तरीकों से बेहतर है, जो किसी काम के नहीं.
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