भालू और रानी मधुमक्खी

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भालू पेड़ की छाँव में बैठा था. उसने देखा कि पेड़ पर मधुमक्खियों का एक बड़ा सा छत्ता है.छत्ते में ढेर सारा शहद था. भाल के मुँह में पानी आ गया और वो सोचने लगा की काश मुझे शहद मुझे खाने को मिल जाए.

उसने कुछ सोचकर रानी मधुमक्खी से बात शुरू की.
भालू:-- रानी कैसी हो? मुझे तुमसे कुछ बात करनी है.
रानी मधुमक्खी:-हाँ कहो क्या कहना चाहते हो!
भालू :- आपका छत्ता तो बहुत अच्छा है,आप ने इसे बड़ी मेहनत से बनाया होगा. आपकी मेहनत देखकर मुझे बड़ी खुशी होती है.

रानी मधुमक्खी- हाँ वो तो है, पर तुम क्या चाहते हो? साफ-साफ कहो.
भालू- मैंने बैठे-बैठे आपके छत्ते को देखा,तो मुझे लगा उसमें बहुत सा शहद इकट्ठा हो गया है!कहीं ऐसा ना हो कि कोई आपका शहद चुरा ले. इससे तो अच्छा है कि आप किसी दिन जंगल के सभी जानवरों को दावत ही दे दें.
रानी मधुमक्खी भालू के मन की बात समझ गई, उसने कहा हाँ भालू भाई मैं आपकी बात समझ गई हूँ आप का मन शहद खाने को कर रहा है इसलिए आप बातें बना रहे हो.
यह सुनकर भालू शर्मिंदा हो गया.
पर फिर रानी मधुमक्खी ने कहा भालू भाई मैं आपको शहद खाने दे सकती हूँ पर आपको मुझसे एक वादा करना होगा.
भालू खुश होकर बोला हाँ हाँ बताओ! मुझे क्या करना होगा ?
रानी मधुमक्खी बोली मैं आपको रोज थोड़ा-थोड़ा शहद दूँगी,बदले में आपको मेरे छत्ते की रखवाली करनी होगी.
भालू ने कहा अरे वाह यह तो अच्छी बात है.आप मुझे रोज शहद खिलाना और मैं आपके छत्ते की रक्षा करूंगा.
उसके बाद भालू मधुमक्खी के छत्ते की रखवाली करने लगा और रानी मधुमक्खी उसे रोज शहद देने लगी.
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