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एक गाँव में एक वृद्ध जमींदार रहता था. उसकी बहुत उम्र हो चली थी. एक बार जब वह बीमार पड़ा, तो उसे लगा कि अब उसके जाने का समय आ गया है. उसके तीन पुत्र थे. उसने तीनों को अपने पास बुलवाया.
जब तीनों पुत्र वृद्ध व्यक्ति के पास एकत्रित हुए, तो वो बोला, “पुत्रों! लगता है मेरा जाने का समय आ गया है. मैंने तुम्हें एक बात बताने के लिए अपने पास बुलाया है. जब मैं मर जाऊं, तो तुम लोग मेरे पलंग के नीचे की जमीन खोद लेना. वहाँ तुम तीनों के लिए कुछ है.”
इतना कहने के बाद वृद्ध व्यक्ति की मृत्यु हो गई. उसका अंतिम संस्कार करने के बाद तीनों पुत्रों ने उसके कहे अनुसार उसके पलंग के नीचे की जमीन की ख़ुदाई की. ख़ुदाई में उन्हें तीन कटोरे मिले, जो एक के ऊपर एक रखे हुए थे.
पहले कटोरे में मिट्टी थी, दूसरे में सूखा हुआ गाय का गोबर और तीसरे में तिनके रखे हुए थे. साथ ही उन्हें १० सोने के सिक्के भी मिले. तीनों पुत्रों को तीन कटोरों और १० सोने के सिक्कों की पहेली का अर्थ समझ नहीं आया. लेकिन उन्हें इतना अवश्य समझ आ गया कि ऐसा करने के पीछे उनके पिता का अवश्य कोई प्रयोजन रहा होगा.
इस पहेली को सुलझाने के लिए तीनों ने तेनालीराम के पास जाने का निश्चय किया. तेनालीराम के पास पहुँचकर उन्हें पूरी बात बताकर उन्होंने पूछा, “चाचा! आप तो पिताजी के बहुत अच्छे मित्र थे. क्या मृत्यु पूर्व पिताजी ने इस बारे में आपसे कोई चर्चा की थी?”
“नहीं तो.” तेनालीराम ने उत्तर दिया, “किंतु तुम्हारे पिताजी पहेलियों के बहुत शौकीन थे. इसलिए शायद वे पहेली में अपनी बात कह गए हैं. मुझे थोड़ी देर सोचने दो. हो सकता है मैं इस पहेली को बूझ लूं.”
तीनों लड़के शांति से तेनालीराम के पास बैठ गए और तेनालीराम सोच में डूब गये. कुछ देर बाद तेनालीराम की आँखें ख़ुशी से चमक उठी और वह बोले, “मुझे पता चल गया कि इस पहेली का क्या अर्थ है?”
“तो चाचाजी जल्दी से हमें भी उसका अर्थ बता दो.” तीनों पुत्र बोले.
“तो सुनो” तेनालीराम कहने लगा, “तीनों कटोरों के आकार को देखो. सबके आकार भिन्न हैं. इन तीन कटोरों के माध्यम से तुम्हारे पिता ने अपनी संपत्ति का बंटवारा तुम तीनों के मध्य किया है. सबसे बड़ा कटोरा सबसे बड़े पुत्र की मिली संपत्ति को दर्शा रहा है. उसमें मिट्टी भरी है अर्थात् तुम्हारे पिता के सारे खेत सबसे बड़े पुत्र को मिलेंगे. दूसरा कटोरा मंझले पुत्र को मिली संपत्ति को दर्शा रहा है. उनमें गाय का सूखा गोबर है अर्थात् सारे मवेशी मंझले पुत्र को मिलेंगे. तीसरा कटोरा छोटे पुत्र को मिली संपत्ति को दर्शा रहा है, जिसमें तिनके भरे हैं, जो सुनहरे रंग के हैं अर्थात् सारा सोना सबसे छोटे पुत्र के हिस्से आया है.”
इतना कहकर तेनालीराम चुप हो गया.
तब तीनों पुत्र बोले, “चाचाजी, एक बात समझ में नहीं आ रही कि पिताजी ये १० सोने के सिक्के किसके लिए छोड़ गए हैं?”
“ये मेरा मेहताना है. तुम्हारे पिता कोई भी काम मुफ़्त में नहीं करवाते थे. उन्हें मालूम था कि उनकी पहेले की का अर्थ पूछने तुम लोग मेरे पास आओगे. इसलिए मेरा मेहताना छोड़ गये हैं.” तेनालीराम ने उत्तर दिया.
तीनों पुत्रों को अपने पिता की पहेली का उत्तर मिल चुका था. उन्होंने तेनालीराम को १० सोने के सिक्के दिए और लौट गए.